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शातिर चोर ने कई कैदिओ को किया रिहा, चोर ने जज बनकर सुनाय अपने केस का फैंसला

Dhani Ram Mittal बहुत ही शातिर चोर था धनीराम मित्तल ने ने अपने केस का सुनाया खुद फैंसला। साथ ही 40 दिनों के अंदर हजारों कैदियों को जमानत पर छोड़ दिया
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Dhenaram

News 24Hours Hub: अपराध की दुनिया में चार्ल्स शोभराज के बाद शायद ही कोई और शख्स हो जिसने चोर धनीराम मित्तल  से ज्यादा नाम कमाया हो. चोरी की दुनिया में हरियाणा के धनीराम मित्तल ने एक के बाद एक मिसाल कायम की. हरियाणा के इस शातिर चोर ने अकेले 1000 से ज्यादा वाहन चोरी की घटना को अंजाम दिया. 

 94 मामलों में गिरफ्तार हुआ और जेल गया. यही वहज है कि देश और दुनिया में धनीराम मित्तल को देश का सबसे बड़ा चोर माना जाता है. 5 दशक से ज्यादा समय तक ये शख्स चोरी और धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देता रहा, लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आया जब उसने जज बनकर अपने ही केस में फैसला सुनाया, साथ ही 40 दिनों के अंदर हजारों कैदियों को जमानत पर छोड़ दिया. 

खास बात यह है कि हरियाणा के भिवानी निवासी धनीराम मित्तल युवावस्था में एक आम युवक की तरह ही था, लेकिन अच्छी पढ़ाई करने और सरकारी नौकरी के लिए काफी प्रयास करने के बाद भी नौकरी पाने में असफल रहने पर उसने बेहतर जिंदगी की तलाश में जरायम की दुनिया में आ गया. सबसे पहले उसने फर्जी कागजातों के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना शुरू किया. फर्जीवाड़ें के आधार पर धनीराम ने सबसे पहले रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी हासिल की. 

वाहन चोरी का बेताज बादशाह 

रेलवे में छह साल तक नौकरी करने से भी ख्साहिश पूरी नहीं हुई तो धनीराम वाहन चोरी की दुनिया में आ गया. वाहन चोरी करने के बाद उसका फर्जी कागज बनाकर बेचने का काम करने लगा. चोरी के कई मामलों में धनीरम को गिरफ्तार होना और जेल जाने का सिलसिला जारी रहा. चोरी के बाद अदालती कार्रवाई से बचने के लिए धनीराम मित्तल ने राजस्थान से एलएलबी की डिग्री हासिल की. हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की पढ़ाई की. इतना ही नहीं, कानूनी शिकंजे से बचने के लिए उसने ग्राफोलॉजी की भी पढ़ाई की. यह सब धनीराम मित्तल ने केवल इसलिए किया​ कि वो वाहन चोरी करने के बाद फर्जी कागजात बनाने के अपने कौशल के दम पर  पुलिस और अदालत के चक्करों से बच सके. 

1000 चोरी  

एक दौर में वाहन चोरी के मामले में धनीराम मित्तल इतना एक्सपर्ट हो गया कि उसने 1000 से ज्यादा वाहनों को चुराकर से बेचा. उसने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान के आसपास के इलाकों में अपना नेटवर्क भी तैयार कर लिया था. इस काम में उसका आत्मविश्वास इतना बढ़ गया कि जब एक बार वाहन चोरी के मामले में पुलिस उसे लेकर कोर्ट पहुंची तो जज साहब उसे कोर्ट के बाहर ही पहचान गए. उन्होंने धनीराम से कहा कि तुम कोर्ट से बाहर निकलो.

 इस पर उसने पुलिस वालों से कहा कि आज जज साहब गुस्से में है. बिना सुनवाई के कह दिया यहां से जाओ. इसके बाद उसने पुलिस वालों के साथ चाय पी. पुलिस वालों से कहा कि दो मिनट में आ रहा हूं और मौका देख वहां से गायब हो गया. जब जज साहब ने कोर्ट में पेशी के लिए बुलाया तो पुलिस वाले सन्न रह गए. जज ने पुलिस वालों ने पूछा - धनीराम कहा है, तो पुलिस वालों ने कहा कि सर उसने बताया कि जज साहब ने कहा तुम जाओ, तुम्हारा यहां कोई काम नहीं. जज साह​ब को भी माजरा समझने में दे नहीं लगी. वो समझ गए चोर धनीराम एक बार फरार हो गया. 

2016 में फिर पकड़ा गया 

83 वर्षीय धनीराम में एक बात और है जिसकी चर्चा होती है. वह वाहन चोरी की घटना को रात में कभी अंजाम नहीं देता था, लेनिक अपने उम्र की वजह से धनीराम इस मामले में कमजोर पड़ने लगा, उसका नेटवर्क कमजोर हो गया. वह 1964 से वाहन चोरी की घटना अंजाम देता आ रहा था, लेकिन आखिरी बार वह 2016 में उस समय पकड़ा गया ज​ब उसे दिल्ली में एक साथ तीन गाड़ियों को चुराने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.

फर्जी जज बनकर सुनाया फैंसला 

इसके बावजूद साल 1980 में धनीराम ने एक ऐसा काम किया जो चोरी के इतिहास शायद ही हिन्दुस्तान में किसी चोर ने ऐसा किया हो. उसकी ये करतूत चोरी और फर्जीवाड़े के इतिहास में नजीर के रूप में लिया जाता है. दरअसल, उसने एक दिन अखबार में ये खबर पढ़ी कि झज्जर के एडिशनल सिविल जज के खिलाफ विभागीय जांच जारी है. भ्रष्टाचार के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जज के खिलाफ जांच बैठा दी है. 

बस, उसका शातिर दिमाग चल पड़ा. धनीराम ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार की ओर से एक लेटर झज्जर के एडिशनल सिविल जज के नाम लिखा. यह लेटर उसी जज के नाम से लिखा था जिसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने विभागीय जांच शुरू की थी. लेटर को शातिर चोर ने झज्जर के ​एडिशनल जज पते पर भेजा. लेटर में उसने लिखा कि जांच पूरा होने के दो माह तक आप लीव पर रहेंगे. खबर पढ़ते ही आरोपी जज साहब अगले दिन से छुट्टी पर चले आ. धनीराम के फर्जीवाड़े का कारनामा यही पर समाप्त नहीं हुआ. उसने एक और पत्र लिखा. 

उसने इस काम को बहुत ही अच्छे ढंग से अंजाम दिया . दूसरे पत्र में उसने लिखा कि जब तक एडिशनल जज दो माह की छुट्टी पर होते है   हैं तब तक ये जज काम देखेंगे.और यही जज फैंसला भी करे गए।  आगामी 40 दिनों तक उनकी जगह सुनवाई करेंगे. और उन्होंने बाद बहुत से कैदिओ को जमानत दे दी।